पहाड़ों की वादियों में बिताएं गर्मी की छुट्टियां
सैर-सपाटे के शौकीन लोगों को तो जैसे
ग्रीष्मावकाश की प्रतीक्षा रहती है। जब परिवार सहित पर्वतों की सुरम्य वादियों में
पहुंचने को मन करता है। हिमालय की विभिन्न पर्वत श्रृंखलाओं में एक के बाद एक अनेक
ऐसे स्थल मौजूद हैं, जहां से लौटने का भी मन नहीं होता। और फिर लौटने की जल्दी
भी क्या है? एक स्थान देखिए दूसरे की ओर बढ़ जाइए। जहां आपको
प्रकृति का एक और नया रूम नजर आएगा।
कुल्लू घाटी में पर्वतीय स्थलों की इस लंबी श्रृंखला की शुरुआत वैसे कश्मीर की मनोरम घाटियों से होती है। कश्मीर की खूबसूरती के बाद कुल्लू घाटी एवं मनाली का प्राकृतिक सौंदर्य के मामले में पहला स्थान है। कुल्लू घाटी को तो देवताओं की घाटी ही कहा जाता है। ब्यास नदी के दोनों ओर बसा कुल्लू शहर घाटी के मध्य स्थित है। कुल्लू का बिजली महादेव मंदिर घाटी के भव्य मंदिरों में से एक है। यहां का दशहरा उत्सव तो विश्व भर में प्रसिद्ध है।
निकोलस रोरिक की कला दीर्घा
कुल्लू के निकट नग्गर नामक स्थान पर भी
अनेक दर्शनीय मंदिर हैं। प्रसिद्ध चित्रकार एवं मूर्तिकार निकोलस रोरिक की कला
दीर्घा भी यहीं है। यहां से लगभग 46 किमी दूर है मणीकर्ण।
यह स्थान सिक्खों एवं हिंदुओं का धार्मिक स्थल है। यहां प्रसिद्ध गुरुद्वारे और
मंदिर में उष्ण जल के स्त्रोत हैं। कुल्लू से
करीब 42 किमी दूर स्थित मनाली भी व्यास नदी के ही तट पर बसा
है। यहां से दिखाई पड़ती बर्फीली चोटियां एवं आसपास फैले सेबों के बाग मनाली की
विशेषता हैं। हिडिम्बा देवी मंदिर, तिब्बती मठ और वशिष्ठ बाथ
यहां के मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। मनाली से 13 किमी दूर
सोलांग घाटी भी एक मनमोहक पर्यटन आकर्षण है। करीब 52 किमी
दूर प्रसिद्ध रोहतांग दर्रा अपनी खूबसूरती से पर्यटकों का प्रभावित करता है।
कुल्लू एवं मनाली दोनों ही स्थानों पर स्थानीय भ्रमण के लिए बस एवं टैक्सी द्वारा
साइट सीन टूर चलते हैं।
कैसे पहुंचें
इन स्थानों पर पहुंचने के लिए दिल्ली
एवं चंडीगढ़ से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है। सामान्य एवं डीलक्स बसों द्वारा यह सफर
दिल्ली से 15 घंटे एवं चंडीगढ़ से 10 घंटे का है।
कुल्लू के निकट भुंतर में एक हवाई अड्डा भी है। मनाली से 9-10 घंटे का पहाड़ी सफर तय करके पर्यटक शिमला पहुंच सकते हैं।
सैलानियों की पसंद शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला समुद्र
तल से 2215 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है आजादी से पूर्व यह शहर
अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। उस दौर के अनेक सुंदर भवन एवं चर्च आज भी
सैलानियों को आकर्षित करते हैं। शिमला का मॉल रोड पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है।
यहां की रौनक हर समय देखते ही बनती है। जाखू हिल, वायसराय
लॉज, काली मंदिर राजकीय संग्रहालय यहां के दर्शनीय स्थल है।
आसपास के स्थानों में वाइल्ड फ्लावर हाल, कुफ्री, मशोब्रा, नालटेहरा, चैल आदि भी
प्रकृति पूरित देखने योग्य स्थल हैं। इन स्थानों से हिममंडित शिखर भी स्पष्ट नजर
आते हैं। वैसे शिमला की सैर का वास्तविक आनंद लेना है तो कालका से शिमला के मध्य
चलने वाली टॉय ट्रेन में अवश्य सफर करना चाहिए।
कैसे पहुंचें
दिल्ली और चंडीगढ़ से शिमला के लिए नियमित बसें चलती हैं। रेलमार्ग से दिल्ली से कालका तक पहुंचा जा सकता है। कालका से आठ घंटे का सफर तय कर शिमला पहुचा जा सकता
है। शिमला-कालका के मध्य टॉय ट्रेन द्वारा पहाड़ी मार्ग तय करने का अपना अलग आनंद
है। कालका देश के अनेक शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। शिमला वैसे हवाई मार्ग द्वारा भी जुड़ा है। इसके अलावा चंडीगढ़ भी यहां से निकटतम हवाई अड्डा है।
शांत सैरगाह है नाहन
शिमला एक व्यस्त हिल स्टेशन है। इसके
बाद किसी शांत और छोटी सैरगाह जाने का मन है तो सोलन होकर कसौली या नाहन पहुंच
सकते हैं। शिवालिक पहाडि़यों में बसा नाहन एक छोटा किंतु मनोरम स्थल है। यहां के
मंदिर, बाग एवं यहां का रानीताल दर्शनीय स्थान है। सीधे नाहन
पहुंचना हो तो अंबाला होकर आसानी से पहुंच सकते हैं। वहां से यह 64 किमी दूर है नाहन। नाहन से 45 किमी की दूरी पर
रेणुका झील है। अप्रतिम सौंदर्य वाली यह झील पर्यटकों को जैसे सम्मोहित ही कर लेती
है। इसी क्षेत्र में रेणुका अभ्यारण्य भी देखने योग्य स्थल है। दूसरी ओर पोंटा
साहिब भी लगभग 45 किमी दूर है। सिक्खों के इस पवित्र स्थल का
संबंध दशम गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन से रहा है। पोंटा से अगर चाहें तो पर्यटक
देहरादून होकर वापस लौट सकते हैं अथवा उत्तरांचल के पर्वतीय स्थलों की सैर कर सकते
हैं।
कैसे पहुंचें
नाहन के लिए अंबाला एवं चंडीगढ़ से बस
सेवा उपलब्ध है तथा पोंटा के लिए देहरादून से भी बस या टैक्सी द्वारा जा सकते हैं।
लेखक मिर्ज़ा ग़ालिब
अली
फ्रीलैंस टुरिज़्म
लेखक
(डारेक्टर ऐरो स्पेस
एयर ट्रवेल्स)
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