Aero Space Air Travels
Thursday 18 February 2016
Wednesday 20 January 2016
Friday 15 January 2016
Monday 11 January 2016
Jagganath Puri Darshan with Konark-Ratnagir-Saptagiri-Lalitagiri
Bhubaneswar – Puri Local
Day1 :- Arrive Bhubaneswar Air port / Railway station, pick-up,drive to Puri, check-in hotel, after relax visit world famous Jagannath Temple by our priest then enjoy at golden sea beach of Jagannath Dham and Local market, overnight @ Puri.
Puri – Satapada (Chilika Lake)
Day2 :- After breakfast drive to Satapada (Chilika Lake- The Largest Salt Water lake of Asia, It spreads over 1100 Square K.M ) enjoy the boat Cruise at Chilika lake & see “Irawadi Dolphins” and “Sea Mouth” (Meeting point of lake & sea, name as Chilka’s island).Then back to Puri, visit Gundicha Temple,Sunar Gourang Temple then relax at golden sea beach and free time shopping at Local market, overnight @ Puri.
Puri – Konark - Bhubaneswar
Day3:- After breakfast, check-out from hotel and drive to Konark, enroute visit Ramachandi Temple, Chandrabhaga Beach then visit Konark (The Sun Temple and world heritage site and also known as the black pagoda).The Temple is an example of Orissan architecture of Ganga dynasty, latter drive to Bhubaneswar (Capital city of Odisha) visit Pipili (Famous for Appliqué work and also known as the handicraft village),Dhauli peace pagoda ( The Buddhist monument & famous for kalinga war), Lingaraj Temple, Rajarani Temple, Mukteswar Temple, Ekamra Haat (The Handicraft Market) then check-in hotel in Bhubaneswar and overnight @ Bhubaneswar.
Bhubaneswar Local
Day4:- After breakfast check-out from hotel and visit Nandankanan (Zoological Park),Khandagiri & Udayagiri (the famous rock-cut caves Hatigumpha and wonderful sculptures in Ranigumpha built by Mahameghavahana Aira Kharavela),Tribal Museum, Local market. Overnight @ Bhubaneswar.
Bhubaneswar – Ratnagiri – Lalitgiri – Udayagiri.
Day5:- After breakfast,check-out from hotel and drive to Ratnagiri,visit famous and great Budhist attraction and Budhist history of sculptures at Ratnagiri,Udayagiri and lalitgiri.These are also famous as the name of “Dimond Triangle” of Odisha,then visit Langudi (Famous for Budhist Sculptures), check-in hotel in Puspagiri and overnight @ Puspagiri.
Puspagiri - Bhitarkanika
Day6:- Early breakfast drive to Khola (Entry point of Bhitarkanika National Park) then board on boat and visit different creeks to see spot crocodiles, bird sanctuary,trekking to hunting tower of ancient king,crocodiles breeding centre,spoted deer,Lotus pond,many kinds of Jungle animals and museum.Then back to hotel and overnight @ Puspagiri.
Puspagiri – Bhubaneswar & Drop
Day7:- After breakfast check-out from hotel and drive to Bubaneswar and drop at Bhubaneswar Railway station / Airport for your onward journey with sweet memories of Odisha.
“TOUR END”
Monday 4 January 2016
पहाड़ों की वादियों में बिताएं गर्मी की छुट्टियां
सैर-सपाटे के शौकीन लोगों को तो जैसे
ग्रीष्मावकाश की प्रतीक्षा रहती है। जब परिवार सहित पर्वतों की सुरम्य वादियों में
पहुंचने को मन करता है। हिमालय की विभिन्न पर्वत श्रृंखलाओं में एक के बाद एक अनेक
ऐसे स्थल मौजूद हैं, जहां से लौटने का भी मन नहीं होता। और फिर लौटने की जल्दी
भी क्या है? एक स्थान देखिए दूसरे की ओर बढ़ जाइए। जहां आपको
प्रकृति का एक और नया रूम नजर आएगा।
कुल्लू घाटी में पर्वतीय स्थलों की इस लंबी श्रृंखला की शुरुआत वैसे कश्मीर की मनोरम घाटियों से होती है। कश्मीर की खूबसूरती के बाद कुल्लू घाटी एवं मनाली का प्राकृतिक सौंदर्य के मामले में पहला स्थान है। कुल्लू घाटी को तो देवताओं की घाटी ही कहा जाता है। ब्यास नदी के दोनों ओर बसा कुल्लू शहर घाटी के मध्य स्थित है। कुल्लू का बिजली महादेव मंदिर घाटी के भव्य मंदिरों में से एक है। यहां का दशहरा उत्सव तो विश्व भर में प्रसिद्ध है।
निकोलस रोरिक की कला दीर्घा
कुल्लू के निकट नग्गर नामक स्थान पर भी
अनेक दर्शनीय मंदिर हैं। प्रसिद्ध चित्रकार एवं मूर्तिकार निकोलस रोरिक की कला
दीर्घा भी यहीं है। यहां से लगभग 46 किमी दूर है मणीकर्ण।
यह स्थान सिक्खों एवं हिंदुओं का धार्मिक स्थल है। यहां प्रसिद्ध गुरुद्वारे और
मंदिर में उष्ण जल के स्त्रोत हैं। कुल्लू से
करीब 42 किमी दूर स्थित मनाली भी व्यास नदी के ही तट पर बसा
है। यहां से दिखाई पड़ती बर्फीली चोटियां एवं आसपास फैले सेबों के बाग मनाली की
विशेषता हैं। हिडिम्बा देवी मंदिर, तिब्बती मठ और वशिष्ठ बाथ
यहां के मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। मनाली से 13 किमी दूर
सोलांग घाटी भी एक मनमोहक पर्यटन आकर्षण है। करीब 52 किमी
दूर प्रसिद्ध रोहतांग दर्रा अपनी खूबसूरती से पर्यटकों का प्रभावित करता है।
कुल्लू एवं मनाली दोनों ही स्थानों पर स्थानीय भ्रमण के लिए बस एवं टैक्सी द्वारा
साइट सीन टूर चलते हैं।
कैसे पहुंचें
इन स्थानों पर पहुंचने के लिए दिल्ली
एवं चंडीगढ़ से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है। सामान्य एवं डीलक्स बसों द्वारा यह सफर
दिल्ली से 15 घंटे एवं चंडीगढ़ से 10 घंटे का है।
कुल्लू के निकट भुंतर में एक हवाई अड्डा भी है। मनाली से 9-10 घंटे का पहाड़ी सफर तय करके पर्यटक शिमला पहुंच सकते हैं।
सैलानियों की पसंद शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला समुद्र
तल से 2215 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है आजादी से पूर्व यह शहर
अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। उस दौर के अनेक सुंदर भवन एवं चर्च आज भी
सैलानियों को आकर्षित करते हैं। शिमला का मॉल रोड पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है।
यहां की रौनक हर समय देखते ही बनती है। जाखू हिल, वायसराय
लॉज, काली मंदिर राजकीय संग्रहालय यहां के दर्शनीय स्थल है।
आसपास के स्थानों में वाइल्ड फ्लावर हाल, कुफ्री, मशोब्रा, नालटेहरा, चैल आदि भी
प्रकृति पूरित देखने योग्य स्थल हैं। इन स्थानों से हिममंडित शिखर भी स्पष्ट नजर
आते हैं। वैसे शिमला की सैर का वास्तविक आनंद लेना है तो कालका से शिमला के मध्य
चलने वाली टॉय ट्रेन में अवश्य सफर करना चाहिए।
कैसे पहुंचें
दिल्ली और चंडीगढ़ से शिमला के लिए नियमित बसें चलती हैं। रेलमार्ग से दिल्ली से कालका तक पहुंचा जा सकता है। कालका से आठ घंटे का सफर तय कर शिमला पहुचा जा सकता
है। शिमला-कालका के मध्य टॉय ट्रेन द्वारा पहाड़ी मार्ग तय करने का अपना अलग आनंद
है। कालका देश के अनेक शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। शिमला वैसे हवाई मार्ग द्वारा भी जुड़ा है। इसके अलावा चंडीगढ़ भी यहां से निकटतम हवाई अड्डा है।
शांत सैरगाह है नाहन
शिमला एक व्यस्त हिल स्टेशन है। इसके
बाद किसी शांत और छोटी सैरगाह जाने का मन है तो सोलन होकर कसौली या नाहन पहुंच
सकते हैं। शिवालिक पहाडि़यों में बसा नाहन एक छोटा किंतु मनोरम स्थल है। यहां के
मंदिर, बाग एवं यहां का रानीताल दर्शनीय स्थान है। सीधे नाहन
पहुंचना हो तो अंबाला होकर आसानी से पहुंच सकते हैं। वहां से यह 64 किमी दूर है नाहन। नाहन से 45 किमी की दूरी पर
रेणुका झील है। अप्रतिम सौंदर्य वाली यह झील पर्यटकों को जैसे सम्मोहित ही कर लेती
है। इसी क्षेत्र में रेणुका अभ्यारण्य भी देखने योग्य स्थल है। दूसरी ओर पोंटा
साहिब भी लगभग 45 किमी दूर है। सिक्खों के इस पवित्र स्थल का
संबंध दशम गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन से रहा है। पोंटा से अगर चाहें तो पर्यटक
देहरादून होकर वापस लौट सकते हैं अथवा उत्तरांचल के पर्वतीय स्थलों की सैर कर सकते
हैं।
कैसे पहुंचें
नाहन के लिए अंबाला एवं चंडीगढ़ से बस
सेवा उपलब्ध है तथा पोंटा के लिए देहरादून से भी बस या टैक्सी द्वारा जा सकते हैं।
लेखक मिर्ज़ा ग़ालिब
अली
फ्रीलैंस टुरिज़्म
लेखक
(डारेक्टर ऐरो स्पेस
एयर ट्रवेल्स)
Saturday 2 January 2016
Article
मसूरी –“ पहाड़ों की रानी”
मसूरी, पहाडियों की रानी के रूप में लोकप्रिय है जो
उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित एक हिल स्टेशन है। यह महान
पर्वत हिमालय की तलहटी पर समुद्र स्तर से 1880 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ शहर है। यह हिल स्टेशन शिवालिक पर्वतमाला और
दून घाटियों के अद्धुत दृश्य प्रदान करता है। इस जगह को यमुनोत्री और गंगोत्री के धार्मिक केंद्रों के लिए प्रवेश द्वार भी माना जाता है।
मसूरी भारत के उत्तराखंड प्रान्त का एक नगर है। देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित मसूरी उन स्थानों में से एक है जहां लोग बार-बार जाते हैं। घूमने-फिरने के
लिए जाने वाली प्रमुख जगहों में यह एक है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के शिवालिक श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की
रानी भी कहा जाता है। निकटवर्ती लैंढ़ौर कस्बा भी बार्लोगंज और झाड़ीपानी सहित वृहत या ग्रेटर मसूरी में आता है। इसकी औसत ऊंचाई समुद्र
तल से 2005 मी. (6600फ़ीट) है, जिसमें हरित पर्वत
विभिन्न पादप-प्राणियों समेत बसते हैं। उत्तर-पूर्व में हिम मंडित शिखर सिर उठाये
दृष्टिगोचर होते हैं, तो दक्षिण में दून
घाटी और शिवालिक श्रेणी दिखती है। इसी कारण यह
शहर पर्यटकों के लिये परीमहल जैसा प्रतीत होता है। मसूरी गंगोत्री का प्रवेश द्वार
भी है। देहरादून में पायी जाने वाली वनस्पति और जीव-जंतु इसके आकर्षण को और भी
बढ़ा देते हैं। दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए यह लोकप्रिय
ग्रीष्मकालीन पर्यटन स्थल है।
मसूरी का इतिहास
मसूरी का इतिहास सन 1825 में कैप्टन
यंग, एक साहसिक ब्रिटिश
मिलिट्री अधिकारी और श्री.शोर, देहरादून के निवासी और अधीक्षक द्वारा वर्तमान मसूरी स्थल की
खोज से आरम्भ होता है। तभी इस छुट्टी पर्यटन स्थल की नींव पड़ी, जिसके अभी तक भी कुछ
ही विकल्प कहलाते हैं। 1827 में एक सैनिटोरियम बनवाया गया, लैंढ़ौर में, जो आज कैन्टोनमैन्ट बन चुका है। कर्नल एवरेस्ट ने
यहीं अपना घर बनाया 1832 में और 1901 तक यहां की जनसंख्या 6461 थी, जो कि ग्रीष्म ऋतु में 15000 तक पहुंच जाती
थी। पहले मसूरी सड़क द्वारा सहारनपुर से गम्य था, 58 कि.मि.दूर। सन 1900 में इसकी गम्यता सरल हो गयी यहां रेल के
आने से, जिससे सड़क मार्ग
छोटा होकर केवल 21 कि॰मी॰ रह गया।}] इसके नाम के बारे में प्रायः लोग यहां बहुतायत में उगने वाले एक
पौधे ”’मंसूर”’ को इसके नाम का कारण
बताते हैं, जो लोग, अभी भी इसे मन्सूरी कहते हैं।
मसूरी के
आस पास के स्थान
मसूर नाम मंसूरी से लिया गया है, मंसूर एक प्रकार की झाड़ी होती है
जो एक बार इस क्षेत्र में बहुतायत में पाई गई थी। अधिकाशत: कई लोगों के द्वारा इसे
मंसूरी नाम से भी पुकारा जाता है। यह खूबसूरत हिल स्टेशन यहां स्थित प्राचीन
मंदिरों, पहाडियों, झरनों, घाटियों, वन्यजीव अभयारण्यों और शैक्षिक
संस्थानों के लिए लोकप्रिय है। ज्वाला देवी मंदिर, नाग देवता मंदिर और भद्रराज मंदिर, मसूरी और उसके आसपास स्थित कुछ नामचीन धार्मिक स्थलों में से
एक हैं।
ज्वाला देवी मंदिर
यहां का ज्वाला देवी मंदिर, देवी दुर्गा को समर्पित है।
समुद्र तल से 2100 मीटर की
ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर हिंदुओं के बीच महान धार्मिक महत्व रखता है। इस मंदिर
में पत्थर की बनी हुई एक मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा, अन्य मंदिरों में नाग देवता मंदिर है जो नागों के भगवान को समर्पित
है। हिंदू पर्व नाग पचंमी के दौरान इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन
करने के लिए आते हैं।
गन हिल
यह गंतव्य स्थल, यहां स्थित खूबसूरत पहाडि़यों गन हिल, लाल टिब्बा
और नाग टिब्बा के लिए प्रसिद्ध है। गल हिल पहाड़ी, समुद्र स्तर से 2122 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह
मसूरी की दूसरी सबसे ऊंची पहाड़ी हैं जो बेहद ऐतिहासिक महत्व रखती है। स्वतंत्रता
पूर्व युग के दौरान, इस पहाड़ी
से हर दोपहर को तोप से गोला दागा जाता था, ताकि स्थनीय लोगों को समय बताया
जा सके। उस समय लोग अपनी घडि़यों को उसी अनुसार सेट कर लिया करते थे। वर्तमान में, मसूरी का पानी जलाशय इस पहाड़ी पर
स्थित है। यहां की पहाड़ी पर पर्यटकों के बीच रोप - वे पर सैर करना काफी लोकप्रिय
है
यहां स्थित खूबसूरत पहाडि़यों गन हिल, लाल टिब्बा और नाग टिब्बा के लिए प्रसिद्ध है।ज्वाला देवी मंदिर, नाग देवता मंदिर और भद्रराजमंदिर, मसूरी और उसके आसपास स्थित कुछ नामचीन धार्मिक स्थलों में से एक हैं।इस जगह कुछ सबसे अच्छे और सबसे पुराने बोर्डिंगस्कूल भी हैं जैसे - सेंट जॉर्ज, ओक ग्रोव और वयानबर्ग एलन।
लाल टिब्बा, मसूरी का सबसे ऊंचा प्वाइंट है और इसे डिपो हिल भी कहा जाता है क्यूंकि एक डिपो इस क्षेत्र में स्थित है। ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के टॉवर इस पहाड़ी पर स्थित हैं। भारतीय सैन्य सेवा भी इस पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी पर पर्यटकों की सुविधा के लिए एक जापानी टेलीस्कोप भी 1967 में रखा गया था। इस दूरबीन यानि टेलीस्कोप के माध्यम से पर्यटक नजदीक के इलाके बंदेरपुंछ, केदारनाथ और बद्रीनाथ को देख सकते हैं। नाग टिब्बा, मसूरी का अन्य लोकप्रिय पहाड़ी है और नाग चोटी के रूप में भी जाना जाता है। पर्यटक यहां आकर कई साहसिक खेलों का आनंद भी उठा सकते हैं।
यह जगह यहां बहने वाले खूबसूरत झरनों जिनके नाम है - कैम्पटी
झरना, झरीपानी
झरना, भट्टा झरना
और मोस्सी झरना के लिए भी जाना जाती है। मसूरी की सैर पर आने वाले पर्यटकों के
बीच कैम्पटी झरना बेहद लोकप्रिय है जो समुद्र स्तर से 4500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस
जगह की सुंदरता से प्रभावित होकर, एक ब्रिटिश अधिकारी जॉन मेकीनन ने इसे एक पर्यटन स्थल में बदल
दिया। झरीपानी झरना भी यहां के पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। झरीपानी गांव
में स्थित, यह एक
प्रसिद्ध स्थल है और साहसिक पर्यटकों व रोमांच प्रेमियों के लिए आदर्श गंतव्य स्थल
है। भट्टा झरना और मोस्सी झरना, मसूरी से 7 किमी. की दूरी पर स्थित है।
एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के अलावा, मसूरी अपने शैक्षिक संस्थानों के
लिए भी प्रसिद्ध है। यहां कई यूरोपियन स्कूल हैं जो अंग्रेजों के शासनकाल में
खोले गए थे। इस जगह कुछ सबसे अच्छे और सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूल भी हैं जैसे -
सेंट जॉर्ज, ओक ग्रोव
और वयानबर्ग एलन। इस हिल स्टेशन में सबसे ज्यादा मजेदार एक्टिविटी ट्रैकिंग होती है जिसका भरपूर आनंद यहां
आकर उठाया जा सकता है। यहां कुछ प्रसिद्ध ट्रैल्स भी हैं जहां पर्यटक प्रकृति की
सैर आराम से आनंद उठाकर कर सकते हैं।
मसूरी कैसे
जाएं
मसूरी, आसानी से भारत के अन्य भागों से हवाई, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस गंतव्य
का सबसे नजदीकी एयरबेस जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो देहरादून में बना हुआ है। इस
एयरपोर्ट की मसूरी से दूरी 60 किमी. है। देहरादून रेलवे स्टेशन, इस गंतव्य स्थल का सबसे नजदीकी रेल हेड है।
लेखक मिर्ज़ा ग़ालिब अली
फ्रीलैंस टुरिज़्म
लेखक
Subscribe to:
Posts (Atom)